कारखानों और खदानों में काम की दशाएं बहुत खराब हैं ।
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कारखानों और खदानों में काम की दशाएं बहुत खराब हैं ।
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कारखानों और खदानों में काम की दशाएं बहुत खराब हैं ।
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इन उद्योगों मंे काम की दशाएं बहुत खराब हैं और मजदूरों का बेइंतहा शोषण करके यूरोप-अमरीका को सस्ते कपड़े मुहैया कराए जाते हैं।
5.
घ-कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी आदि तथा कुटीर उद्योगो को बढावा देने के लिए अनुच्छेद 43 राज्य से अपेक्षा करता है कि वह कर्मकारों को काम निर्वाह मजदूरी, शिष्ट जीवन स्तर और उसका सम्पूर्ण उपभोग सुनिश्चित करने वाली काम की दशाएं तथा सामाजिक और सांस्कृतिक अवसर प्राप्त कराने का प्रयास करेगा और विशेषरूप से ग्रामों में कुटीर उद्योग को बढाने का प्रयास करेगा ।
6.
क्या इससे आमतौर पर श्रमशक्ति और खासतौर पर इन व्यवसायों में श्रमशक्ति के समुचित नियोजन के अभाव का संकेत नहीं मिलता? या क्या यह अखिल भारतीय सेवाओं में (कारगुजारी कुछ भी हो) सेवा की दशाओं संबंधी सुरक्षा को दी जानेवाली वरीयता को (तथा इस भ्रम को) प्रतिबिंबित नहीं करता कि जब व्यक्ति को प्रशासक होने के नाते बहुत सारी शक्तियां प्राप्त होती हैं तो सामान्यतः काम की दशाएं अधिक अनुकूल होती हैं?
7.
कुछ बड़े उद्देश्यों पर विचार कीजिए-राष्ट्रीय जीवन की सभी संस्थाओं में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का संचार किया जाएगा, आय की असमानताओं को कम करने की कोशिश की जाएगी, पुरुष और स्त्री सभी नागरिकों को समान रूप से जीविका के पर्याप्त साधन प्राप्त करने का अधिकार दिया जाएगा, आर्थिक व्यवस्था इस प्रकार चलाई जाएगी जिससे धन और उत्पादन-साधनों का सर्वसाधारण के लिए अहितकारी संकेंद्रण न हो, कर्मकारों को निर्वाह मजदूरी मिले तथा काम की दशाएं ऐसी हों जो शिष्ट जीवनस्तर और अवकाश का संपूर्ण उपभोग सुनिश्चित करनेवाली हों।